व्यक्ति के जीवन में किसी भी प्रकार की लत क्यों न हो, अन्ततः वह शरीर के लिए हानिकारक ही होता है, अतः व्यक्ति को चाहिए कि जहां तक सम्भव हो अगर वह किसी भी प्रकार की लत का शिकार ही क्यों न हो, उससे अपने-आपको को हरसम्भव बचाने का भरपूर प्रयत्न अवश्य करना चाहिए क्योंकि इससे सिर्फ शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी व्यक्ति के जीवन में इसका बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ता है जो व्यक्ति के लिए अच्छी बात नहीं होती है.
अगर यह लत पोर्न फिल्मों की हो तो व्यक्ति को चाहिए कि वह तत्काल अपनी इस लत से छुटकारा पाने की कोशिश करे क्योंकि एक ओर तो यह मानसिक रूप से व्यक्ति को पंगु बनाती है तो वहीं दूसरी ओर यह लैंगिक रूप से भी व्यक्ति को बहुत ही बुरी तरह नपुंसकता की चपेट में ले लेती है.
बारम्बार पोर्न फिल्में देखने की वजह व्यक्ति कुंठाग्रस्त हो जाता है जो पुरुषत्व की दृष्टि से बेहद ही खतरनाक सिद्ध होता है क्योंकि पोर्न फिल्में देखने की लत व्यक्ति के मनोमस्तिष्क को सदैव गन्दे विचारों से ओत-प्रोत रखता है जैसा कि उसने पोर्न फिल्मों में देखा हुआ होता है और जब वह वास्तविक जीवन में तुलनात्मक दृष्टि से अपने पार्टनर के साथ ऐसा करने की कोशिश करता है तो निश्चित रूप से वह ऐसा करने में सक्षम नहीं हो पाता है जिसका परिणाम यह होता है कि वह अनावश्यक रूप से अवसादग्रस्त होने लगता है जिसकी वजह से उसका जीवन किसी भी दृष्टि से खुशहाल नहीं रह पाता है. इसलिए भी व्यक्ति को चाहिए कि अगर उसे अपनी जिन्दगी में खुशहाली चाहिए तो उसे चाहिए कि वह यथासम्भव इस लत से छुटकारा पाने की भरपूर कोशिश करे.
सामान्यतया पोर्न फिल्मों को देखने के लिए व्यक्ति को एकान्त की नितान्त आवश्यकता होती है और ऐसी परिस्थिति में व्यक्ति के मस्तिष्क में किसी अन्य विषयों की ओर ध्यान जाता ही नहीं है और परिणाम यह होता है कि वह पारिवारिक और सामाजिक परिवेश से पूरी तरह विरक्त हो जाता है और चूंकि वह अपने पार्टनर के साथ वास्तविक जीवन में ऐसा करने में सक्षम नहीं होता है तो उसे अन्यों के सामने मानसिक रूप से शर्मिंदगी का अनुभव होता है और वह इसके दुष्परिणामस्वरूप सबसे कटा-कटा रहते हुए अनावश्यक रूप से चिन्ता और अवसादग्रस्त होकर अपनी जिन्दगी जीने पर मजबूर हो जाता है जो उसके लिए बहुत ही बुरी स्थिति हो जाती है.
आजकल इंटरनेट की सामान्य सुलभता की वजह और उसके गैरजरूरी उपयोग की वजह से भी व्यक्तियों में पोर्न फिल्मों को देखने की बात सामान्य सी हो चुकी है और यह एक मानसिक रोग का रूप भी अख्तियार कर चुकी है जो कि समाज के लिए कोढ़ में खाज की भांति हो गई है.
हालांकि, पोर्न फिल्मों की लत को ड्रग्स, प्रतिबंधित नशीली दवाओं, शराब और सिगरेट की लत जैसे मानसिक स्वास्थ्य विकारों की तरह तो नहीं माना जाता है परन्तु एक लम्बी अवधि तक इसकी लत की वजह से इसे मानसिक रोग की श्रेणी में रखा जाना किसी भी दृष्टि से अनुचित नहीं होगा क्योंकि अधिकांश लोगों में यह समस्या इतनी गम्भीर हो जाती है कि उसकी वजह से बहुत हद तक उसकी दिनचर्या प्रभावित होने लगती है और व्यक्ति अपने रोजमर्रा के कार्यों से भी विमुख हो जाता है तथा वह किसी काम के लायक भी नहीं रह जाता है.
आजकल पोर्न फिल्मों से सम्बंधित खबरें जरूरत से ज्यादा ही सुर्खियां बटोर रही हैं. कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के वक्त तो इसको देखनेवालों की संख्या में आशातीत बढ़ोतरी हुई थी जिसकी प्रमुख वजह यह थी कि लोगों को अपने घरों में कैद रहने की विवशता आम बात हो गई थी.
हालांकि, पोर्न फिल्मों को देखने के फायदे का तो कुछ भी ज्ञात नहीं है परन्तु इसके नुकसान बहुत ही भयावह हैं. इसका सबसे बुरा प्रभाव तो व्यक्ति के जीवन में उसके पारिवारिक जीवन पर सबसे ज्यादा पड़ता है जो व्यक्ति को इसकी कल्पना और वास्तविकता के बीच जो असामंजस्य की स्थिति है उसकी वजह से आपसी रिश्तों को भी धूलि-धूसरित करता चला जा रहा है. पोर्न फिल्मों में फिल्माए गए दृश्यों की वजह से व्यक्ति के मन में बहुत ही बुरी धारणा घर करने लगती है जिसका व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर अत्यन्त ही बुरा प्रभाव पड़ता है और यही प्रभाव उसे जाने-अनजाने उसके जीवन में नकारात्मक असर डालते हुए अवसादग्रस्त स्थिति में लाकर खड़ा कर देता है और इसका दुष्परिणाम यह होता है कि व्यक्ति इरेक्टाइल डिस्फंक्शन जैसे गम्भीर यौन-रोग की चपेट मे आ जाता है जो यौन-रोगों में सबसे प्रमुख और भयंकर जटिल रोगों की श्रेणी में आता है जिसकी वजह से व्यक्ति की जिन्दगी अत्यन्त ही तल्ख हो जाती है और व्यक्ति चाहकर भी अपने पार्टनर के साथ यौन-सम्बन्ध स्थापित करने में किसी भी प्रकार सक्षम नहीं हो पाता है और अन्दर-ही-अन्दर घुट-घुट कर जीना उसके जीवन की नियति बन जाती है.
पोर्न फिल्मों को देखने का सबसे बुरा प्रभाव व्यक्ति के लिंग पर पड़ता है और व्यक्ति न चाहते हुए भी अनावश्यक रूप से इरेक्टाइल डिस्फंक्शन का बहुत ही बुरी तरह शिकार हो जाता है क्योंकि पोर्न फिल्मों को देखने के बाद जब व्यक्ति वास्तविक जीवन में अपने पार्टनर के साथ सेक्स की प्रक्रिया में शामिल होता है तो वह अच्छी तरह परफॉर्म नहीं कर पाता है क्योंकि फिल्माए गए दृश्यों का वास्तविकता से कुछ भी लेना-देना नहीं होता है और वह लैंगिक कठोरता और शीघ्र-पतन जैसी समस्याओं के मकड़जाल में बहुत ही बुरी तरह उलझकर अपनी जिन्दगी को तबाह व बरबाद कर डालता है.
पोर्न फिल्मों को देखनेवाले व्यक्तियों के स्वभाव में आक्रामक रूप से यौन हिंसा, बलात्कार और दुराचारी प्रवृतियां घर करने लगती है क्योंकि जो भी व्यक्ति पोर्न फिल्मों को देखने के अभ्यस्त हो जाते हैं उनके मन में नैराश्य का भाव बहुत हद तक जाग्रत हो जाता है और ऐसे व्यक्तियों में आशावादी भावनाओं का पूरी तरह लोप हो जाता है.
हालांकि, आमतौर पर बढ़ती हुई उम्र के साथ ज्यादातर मामलों में पुरुषों में इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की समस्या प्राकृतिक कारणों से ही होती है परन्तु किशोर अथवा युवावस्था जैसी कम उम्र में इस रोग से ग्रसित होने की समस्या के प्रमुख कारणों में पोर्न फिल्मों को देखने की लत एक प्रमुख कारण है.
यौन-क्रियाओं से सम्बंधित विचार व्यक्ति के मस्तिष्क पर ठीक उसी प्रकार अपना प्रभाव डालते हैं जैसे कोई खतरनाक नशा व्यक्ति के तन-मन पर अपना प्रभाव डालने में कामयाब होता है. पोर्न फिल्मों को नियमित रूप से देखने की आदतें भी एक तरह का खतरनाक नशा ही तो है जिसका व्यक्ति के नर्वस सिस्टम पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ता है जो किसी भी दृष्टि से व्यक्ति के यौन-जीवन के लिए अच्छी बात नहीं है और इसका बहुत ही बुरा खामियाजा व्यक्ति को भुगतना पड़ता है.
वास्तविकता तो यह भी है कि जो कोई भी व्यक्ति अधिकतर पोर्न फिल्मों को देखने का आदी होता है तो वह जब अपने वास्तविक जीवन में अपने पार्टनर के साथ सेक्स सम्बन्ध स्थापित करने की दिशा में अग्रसर होता है वह सामान्यतया लैंगिक रूप से उत्तेजित नहीं हो पाता है क्योंकि उसके अपने पार्टनर के निजी अंगों में वह हाव-भाव उतनी कामुकता से ओत-प्रोत नहीं लगते, जितने कि कैमरे की मदद से उसे पोर्न फिल्मों में दिखाए जाते हैं जिससे उसके लिंग में पर्याप्त कठोरता का पूर्णतया अभाव हो जाता है और परिणाम यह होता है कि व्यक्ति धीरे-धीरे ही सही बहुत ही बुरी तरह इरेक्टाइल डिस्फंक्शन जैसे गम्भीर यौन-रोग का शिकार हो जाता है.
हालांकि, आजकल इंटरनेट के इस दौर में प्रायः यह भी देखा जाता है कि पोर्न फिल्में देखने में उम्र का कोई भी लेखा-जोखा मायने नहीं रखता है क्योंकि इंटरनेट की सर्वसुलभता की वजह से यह किसी के लिए भी अप्राप्य नहीं है इसलिए किसी भी उम्र का कोई भी व्यक्ति इसे बहुत ही आसानी से, भले ही चोरी-छुपे ही सही परन्तु देखता अवश्य है.
युवाओं और वयस्कों में पोर्न फिल्मों को देखने की बात तो अलग है परन्तु आजकल किशोरों में भी उत्सुकतावश यह काफी हद तक पसन्द किया जाने लगा है क्योंकि किशोर मन में इसे देखने की बात चाहे जिन कारणों से हो इसका प्रसार बड़ी तेजी से बढ़ता जा रहा है जबकि वह इसके दुष्प्रभाव से सर्वथा अनभिज्ञ होते हैं. बात बहुत स्पष्ट है क्योंकि यह हमारी संस्कृति के बढ़ते क्षरण का ही कुप्रभाव है जिसे समय रहते तत्काल प्रभाव से इसे रोकने का प्रयास करना नितान्त आवश्यक है ताकि हमारी आनेवाली पीढ़ी इन बुराइयों से बच सके. इसके लिए माता-पिता के साथ ही स्कूल के शिक्षकों को भी इस पर पूरी कठोरता से ध्यान देना होगा और इतना ही नहीं बल्कि सामाजिक संगठनों के कर्ता-धर्ताओं को भी आगे बढ़कर इस अभियान में पूरे मनोयोग से जुड़ना होगा. तभी जाकर इस दिशा में जागृति आएगी और किशोर वय को इसके जोखिमों से बचाने में सफलता प्राप्त हो सकेगी.
पोर्न फिल्मों को देखने की आदतों में यह भी एक बहुत बड़ा कारण है कि आजकल की भाग-दौड़ भरी जिन्दगी में व्यक्ति का जीवन बहुत ही एकाकी हो गया है और बहुत हद तक सम्भव है कि व्यक्ति अपने अकेलेपन से ऊबकर अनावश्यक चिन्ता या अवसाद से उबरने के लिए इसे देखने के प्रति आकृष्ट हुआ हो परन्तु धीरे-धीरे उसके मस्तिष्क में यह इस प्रकार घर कर गया हो कि यह उसकी दिनचर्या में शुमार हो गया हो परन्तु ऐसी आदतें व्यक्ति के लिए मानसिक रूप से अत्यन्त ही जटिल समस्याओं को ही जन्म देती हैं और इसका सबसे घातक प्रभाव व्यक्ति को लैंगिक रूप से बहुत ही बुरी तरह प्रभावित करता है और व्यक्ति अनावश्यक रूप से बहुतेरे गम्भीर यौन-रोगों की चपेट में आ जाता है और फिर यौन-सुख के परम आनन्द से आजीवन वंचित हो जाता है.
हालांकि, इसका कोई विशिष्ट उपचार नहीं है, बावजूद इसके मानसिक दृढ़ता और मनोवैज्ञानिक तरीकों से व्यक्ति इस गम्भीर समस्या से मुक्त हो सकता है परन्तु इसके लिए व्यक्ति को अपनी जिन्दगी में इच्छाशक्ति को नियंत्रित करने की भरपूर कोशिश करनी होगी और पोर्न फिल्मों को देखने की वजह के दुष्परिणाम के कारण उत्पन्न इरेक्टाइल डिस्फंक्शन और शीघ्रपतन की समस्या से व्यक्ति पूर्णरूपेण स्वस्थ होकर अपने पार्टनर के साथ अपनी जिन्दगी में यौन-सुख का परम आनन्द प्राप्त कर सकता है.
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